
Posted on June 30, 2025
Jaya Parvati Vrat 2025: Puja Vidhi & Significance
Written by : Badhaai Do
Category:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां पार्वती (Goddess Parvati) ने कठोर तपस्या करने के बाद भगवान शिव (Lord Shiva) को अपने पति के रूप में पाया था. ऐसे में अगर आप भी भगवान शिव की तरह वर चाहती हैं या अपने पति की लंबी उम्र चाहती हैं, तो आपको मां पार्वती को समर्पित ये जया पार्वती व्रत जरूर करना चाहिए. जिसे गौरी व्रत या विजया व्रत (Vijaya vrat) के नाम से भी जाना जाता है. वैसे ये त्योहार खासकर गुजरात में मनाया जाता है, जिसमें विवाहित महिलाएं और कन्याएं व्रत करती हैं और मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना करती हैं. ऐसे में अगर आप भी ये व्रत करना चाहती हैं, तो हम आपको बताते हैं जया पार्वती व्रत की तारीख, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.
5 दिन किया जाता है जया पार्वती का व्रत
जया पार्वती का व्रत हिंदू धर्म में सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, जिसमें एक-दो दिन नहीं बल्कि लगातार 5 दिनों तक उपवास किया जाता है। यह व्रत हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से आरंभ होता है और पांच दिनों तक चलता है। इस बार यह व्रत 8 जुलाई 2025 से शुरू होकर 12 जुलाई 2025 को समाप्त होगा।
जया पार्वती व्रत 2025 पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें और उनके समक्ष व्रत का संकल्प लें।
उनका विधिवत अभिषेक करें।
सफेद चंदन और कुमकुम का तिलक लगाएं।
फूल अर्पित करें।
बेलपत्र और शृंगार की सामग्री अर्पित करें।
देसी घी का दीपक जलाएं।
जया पार्वती व्रत का महत्व क्या है
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां गौरी को समर्पित जया पार्वती व्रत करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं. इसके अलावा अगर कुंवारी कन्याएं इस दिन बालू या रेत का हाथी बनाकर उस पर पांच तरह के फल, फूल और प्रसाद अर्पित करती हैं, तो इससे मां पार्वती प्रसन्न होती हैं और मन चाहे वर का आशीर्वाद देती हैं. यह व्रत गणगौर, हरतालिका तीज और मंगला गौरी व्रत के समान ही किया जाता है.
इस तरह करें जया पार्वती व्रत पर पूजा
जया पार्वती व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सबसे पहले स्नान करें, इसके बाद साफ या नए कपड़े पहनें. व्रत का संकल्प लेकर मां पार्वती का ध्यान करें, अपने घर के मंदिर में एक लकड़ी की चौकी रखकर उस पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं. इस चौकी पर मां पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति की स्थापना करें. कुमकुम, शतपत्र, कस्तूरी, अष्टगंध और फूलों चढ़ाकर भगवान शिव और पार्वती की पूजा करें, ऋतु फल, नारियल चढ़ाएं. जया पार्वती व्रत की कथा पढ़ें, आरती करने के बाद दोनों हाथ जोड़कर मां पार्वती से अपना मनचाहा वरदान मांगे. अगर आप बालू या रेत के हाथी का निर्माण कर रही हैं, तो रात में जागरण करने के बाद सुबह स्नान करने के बाद उसे किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें.
जया पार्वती व्रत पर करें इन मंत्रों का जाप
ॐ देवी महागौरी नमः।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
जया पार्वती व्रत में क्या खाएं:
फल: सेब, केला, संतरा, अंगूर आदि।
दूध: दूध, दही, छाछ।
दूध से बनी मिठाइयाँ: खीर, रबड़ी, आदि।
जूस: फल से बने जूस।
व्रत के आखिरी दिन: नमक और गेहूं के आटे से बनी रोटी या पूरी।
जया पार्वती व्रत से जुड़ी कम जानी जाने वाली बातें
क्यों है यह व्रत विशेष रूप से गुजरात में प्रसिद्ध?
गुजरात में जया पार्वती व्रत को विशेष महत्व इसलिए मिला क्योंकि यहां की सांस्कृतिक परंपराओं में सुहागिन महिलाओं द्वारा श्रावण मास में शिव-पार्वती के विवाह से जुड़े कई त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। जया पार्वती व्रत, गणगौर और हरतालिका तीज की तरह लोक परंपराओं में रच-बस गया है, और कन्याएं भी इस व्रत को विवाह पूर्व अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं।
जया पार्वती व्रत में क्यों नहीं खाया जाता नमक?
मान्यता है कि माँ पार्वती ने इस व्रत के दौरान साधना की थी और केवल फल व जल पर निर्भर रहीं, जिससे उनकी तपस्या पूर्ण हुई। नमक का त्याग व्रती के आत्मसंयम और तप के प्रतीक के रूप में माना जाता है।
पांच दिन तक “नागला” क्यों पहना जाता है?
गुजरात की परंपरा के अनुसार व्रत रखने वाली महिलाएं पांच दिनों तक सादगी का जीवन जीती हैं। वे चूड़ियाँ, सिंदूर और बिंदी नहीं लगातीं और साधारण वस्त्र पहनती हैं जिसे “नागला” पहनना कहा जाता है। यह पारंपरिक सादगी और पूर्ण समर्पण का प्रतीक है।
अंतिम दिन जागरण का क्या महत्व है?
व्रत के अंतिम दिन महिलाएं पूरी रात जागरण करती हैं और शिव-पार्वती की कथा, भजन, और कीर्तन करती हैं। यह जागरण साधना की पूर्णता का प्रतीक है और विश्वास है कि माँ पार्वती की विशेष कृपा रातभर जागकर उन्हें स्मरण करने से प्राप्त होती है।
लोक परंपराओं से जुड़ी मान्यताएं
कुछ क्षेत्रों में माना जाता है कि इस व्रत को करने वाली कन्याओं के सपनों में माँ पार्वती आती हैं और उन्हें विवाह से संबंधित संकेत देती हैं।
विवाह के बाद यदि कोई स्त्री पहली बार यह व्रत करती है, तो उसे अगले पाँच वर्षों तक इसे लगातार करना चाहिए, ताकि अखंड सौभाग्य बना रहे।
व्रत के दौरान महिलाएं सखियों के साथ सामूहिक पूजा करती हैं जिससे पारिवारिक और सामाजिक संबंध भी मजबूत होते हैं।
जया पार्वती व्रत और मानसिक शांति
इस व्रत का संबंध केवल पारिवारिक सुख और वर की प्राप्ति से नहीं है, बल्कि यह व्रत आत्म-नियंत्रण, तपस्या और मानसिक शुद्धि का भी प्रतीक है। पाँच दिन तक विशेष आहार, मौनता, ध्यान और जागरण के माध्यम से साधक अपनी आत्मा को निर्मल करता है।
Recent Articles

Tata Sierra 2025: India Ka Swag, India Ka Budget – The SUV That’s Ready to Rule the Roads
November 26, 2025

Sanwariya Seth Yatra 2025: ₹100 Dharmshala, Free Toilets & Civic Sense ka Sach
November 24, 2025

How to Make Your Wedding Invitations Stand Out on Social Media & WhatsApp
November 14, 2025

How to Choose the Perfect Wedding Invitation for Each Ceremony
November 14, 2025

Chhath Festival 2025: A Sacred Festival Dedicated to Lord Surya and Chhathi Maiya
October 23, 2025




